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Rajasthani painting |
मेवाड़ शैली
- मेवाड़ शैली का प्रारंभ तेजसिंह के समय का माना जाता है
- राजा तेज सिंह के समय प्रथम चित्र “श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चुन्नी " ग्रंथ जिसे "सावग पदिक्रमण सुत चुन्नी" के नाम से भी जाना जाता है यह मेवाड़ शैली का प्रथम चित्र वाला ग्रंथ है
- मेवाड़ शैली का दूसरा चित्र वाला ग्रंथ " सुपासनाह चरियम "हे जो की पार्श्वनाथ के चरित्र का उल्लेख करता है यह देलवाड़ा में चित्रित हुआ था|
- मेवाड़ शैली में प्रमुखता पीले रंग व कदम्ब के वृक्ष का महत्व है
- राणा अमर सिंह प्रथम का काल मेवाड़ शैली का स्वर्ण युग माना जाता है
- इस काल में रागमाला के चित्र निर्मित है जो की निसारूदीन के द्वारा चित्रित है
- राणा अमर सिंह द्वितय के काल में मुगल शैली में अमर विलास महल बनाया गया जिसे बाड़ी महल भी कहा जाता है
- राणा कर्ण सिंह के शासनकाल में जनाना और मर्दाना महल का निर्माण हुआ
राणा जगत सिंह प्रथम का शासनकाल
- इस काल के प्रमुख चित्रकार शाहबूदिन व मनोहर है
- इस काल के प्रमुख चित्र रसिकप्रिया , गीत गोविंद और राग माला हैं
- इस काल में “चितेरो की ओरी” कला महाविद्यालय स्थापित किया गया जिसको " तस्वीर रों कारखानों " के नाम से भी जाना जाता है
- महाराणा संग्राम सिंह के पच्छात इस प्रकार की चित्र परंपरा समाप्त हो जाती है
- मेवाड़ शैली के प्रमुख चित्रकार भैरू राम ,नसीरुदीन,जगन्नाथ, कृपाराम ,मनोहर ,,हीरानंद व कमलचंद्र है
- वर्तमान में मेवाड़ शैली का संग्रहालय उदयपुर में स्थित है जो की विशाल संग्रहालय है यह मेवाड़ शैली का सबसे विशाल संग्रहालय है इस संग्रहालय में रसिकप्रिया सबसे प्राचीन चित्र माना जाता है
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